मेरी प्यारी मंजिल

मेरी प्यारी मंजिल, हर सुबह उठ वही सपना देखता हूँ, फिर कुछ मील उस ओर चलता हूँ; कल सुबह फिर वही सपना देखूंगा मैं, मंजिल कब तक दूर रह पाओगी तुम, बाँहों में तुम्हे जल्द ही भरूँगा मैं। तुम्हारा ही लाल 🙂